The Ultimate Guide To Shodashi

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Neighborhood feasts Participate in a major purpose in these occasions, where devotees come together to share meals That usually include things like regular dishes. This sort of meals celebrate both the spiritual and cultural components of the festival, boosting communal harmony.

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

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ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

Hence, the Shodashi mantra is chanted to generate one a lot more eye-catching and hypnotic in everyday life. This mantra can transform your lifetime in times as this is an extremely impressive mantra. Just one who has mastered this mantra results in being like God Indra in his daily life.

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व here पूर्ण माना जाता हैं।

संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi

, form, by which she sits atop Shivas lap joined in union. Her qualities are limitless, expressed by her five Shivas.  The throne upon which she sits has as its legs the 5 varieties of Shiva, the renowned Pancha Brahmas

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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